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हीं भूले जाते
खाने
सिर-माथे
आँखो की गहराई
प्रेम-कहानी
वादा
प्रेमहिईश्वरहै
नया साल
नशा
जीवलगा
लगा है
टीमवर्ककेसाथकोईभीकार्यमेंजीतहासिल
करनापड़ताहैसबकोहीश्रम।देताहैपरमात्मासिर्फलकीरे
जैसे ही
भी खाने
क्यू लगा
मोहब्बत
लगा था
तस्लीमसुनो
पर किताब
Hindi
डुबने लगा
Quotes
मेरी शायरी.. आँखों की गहराई देखकर सागर भी सोचने लगा, ए बंदे ...
बुधवार: सोना-चांदी या हीरा-मोती, इन सबका ऐसा हुआ नशा। चढ़ कर ...
शनिवार: ना जाने क्यू लगा भूले वादा, सुनो नया साल आ चुका तो। ...
शनिवार : इंसान मास भी खाने लगा है, निर्दोष पशु भी खाने लगा ...
शनिवार: जैसे ही मेरी प्रेम-कहानी शुरू हुई थी, मोहब्बत पर कि ...
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